वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-गोरखपुर शहर की प्रमुख सड़कें उस जगह के ट्रैफिक के भार के मुताबिक चौड़ी हैं, लेकिन कही आधी तो कही उससे भी ज्यादा सड़क पर अतिक्रमण लोगों का सफर मुश्किल कर रहा है। जो सड़क रात में और तड़के 60 से 80 फीट चौड़ी नजर आती है, वह बाजार खुलते ही सिकुड़ कर 40 से 50 फीट रह जाती है। सड़कों पर कहीं गाड़ियां खड़ी दिखाई देती हैं, तो कहीं टैंपों व ई-रिक्शा का कब्जा रहता है। समस्या में इजाफे का बाकी काम ठेला-खोमचा पर चाट-पकौड़ी, जूस बेचने वाले कर देते हैं।
चौराहों पर पुलिस की पिकेट और यातायात व्यवस्था संभालने के लिए तैनात ट्रैफिक पुलिस के सामने की जाने वाली मनमानी की कीमत लोगों को लंबे जाम में फंसकर चुकानी पड़ती है। रेलवे स्टेशन चौराहे से यातायात कार्यालय तक की सड़क 80 से 90 फीट चौड़ी है। कहने को तो यह फोरलेन है, मगर पूरे दिन इस सड़क पर 30 से 40 फीट तक कब्जा ही रहता है। यह कब्जा कुछ दुकानदारों ने कर रखा है तो बाकी पर बेतरतीब ऑटो खड़े रहते हैं।
यही हाल गोलघर की सड़क का है। दुकानों के खुलने से पहले, सुबह नौ बजे तक 60 से 70 फीट चौड़ी इस सड़क पर गाड़ियां फर्राटे भरती हैं। लेकिन, इसके बाद दस फीट तक की सड़क पर दुकान मालिकों और खरीदारों की गाड़ियां पार्क हो जाती हैं। इसके बीच और बाद की सड़क पर रेहड़ी वाले अपनी दुकानें सजा लेते हैं। जलकल भवन की ओर से 20 फीट तक चाट-पकौड़ी व डोसा की दुकानें लग जाती हैं। ऐसे में इस सड़क पर वाहनों के चलने के लिए 35 से 30 फीट तक का रास्ता बचता है। यानी, सड़क पर दो गाड़ियां अगल-बगल गुजरें तो जाम की स्थिति बननी तय है।
काली मंदिर से स्टेशन रोड : सड़क को बना दिया गैरेज
काली मंदिर से स्टेशन रोड की सड़क 80 से 100 फीट चौड़ी है। यहां चौराहे से करीब तीन सौ मीटर दूर तक गाड़ियों की मरम्मत की दुकानें हैं। एक तरफ आफी से ज्यादा सड़क पर गाडियां खड़ी रहती हैं। मैकेनिक सड़क पर ही गाड़ियों की मरम्मत करते हैं। दूसरी तरफ गुमटी व ठेले लगते हैं। इससे चलने के लिए मात्र 40 से 50 फीट सड़क ही बचती है।
अंबेडकर चौराहे से हरिओम नगर रोड : सकरी सड़क पर भी ठेला, फेरीवालों का कब्जा
अंबेडकर चौराहे से हरिओम नगर तक सड़क की चौड़ाई 40 से 50 फीट है। शहर की मुख्य सड़कों में इसकी चौड़ा सबसे कम है। लेकिन, इस पर भी दोनों तरफ गन्ने का जूस, मोबाइल कवर और फेरी की दुकानें लगती हैं। मुख्य चौराहे पर विशाल मेगा मार्ट है, जिसकी पार्किंग नहीं है। यहां जाने वाले ज्यादातर ग्राहक सड़क पर ही वाहन खड़ा कर देते हैं। ऐसे में चलने के लिए महज 20 से 30 फीट सड़क बचती है। यहां अक्सर जाम लगता है।
शास्त्री चौक से बेतियाहाता चौराहा : अवैध रूप से ऑटो स्टैंड, फल-सब्जी की दुकाने कर रहीं बेहाल
शास्त्री चौक से बेतियाहाता चौराहा तक की सड़क 50 से 60 फीट चौड़ी है। चौराहे पर सड़क की चौड़ाई करीब 90 से 100 फीट है। नौ बजे के बाद आधी सड़क ऑटो स्टैंड बन जाती है। ठेले पर फल की दुकानें और उनके खरीदार रही सही कसर पूरा कर देते हैं। चलने के लिए सड़क सिर्फ 25 से 30 फीट ही बचती है। थोड़ा आगे बढ़ने पर पेट्रोल पंप के सामने से लगभग आधे किलोमीटर की सड़क शाम ढ़लते ही सब्जी की दुकानों के हवाले हो जाती हैं। दूसरे तरफ पटरी पर मीट-मछली की दुकानें लगती हैं। सड़क सिर्फ 20 फीट ही बचती है। ऐसे में यहां से वाहन जैसे-तैसे गुजरते हैं।
दुकानदार समझें, जमा लगेगा तो ग्राहक नहीं आएंगे
दुकानदार अभिषेक सिंह ने कहा कि कई दुकानदार सड़क का कुछ हिस्सा अपने कब्जे में लेकर दुकान का सामान फैला देते हैं। सड़क पर ठेले वालों के कब्जे की समस्या तो है ही।दुकानदारों को समझना चाहिए कि जमा लगेगा तो ग्राहक नहीं आएंगे। उनकी ही दुकानदारी प्रभावित होगी। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभाती।
कब्जे से खराब होती है बाजार की सुंदरता
व्यापारी सत्य प्रकाश सिंह मुन्ना ने कहा कि दुकान के बाहर कब्जा करके व्यापार करने से बाजार की सुंदरता खराब होती है। ग्राहकों के चलने की जगह नहीं होगी तो वो खुद दुकान से किनारे कटने लगेंगे। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बेतरतीब तरह से ऑटो- ई रिक्शा खड़ा होते हैं। ठेले वाले भी जाम की वजह हैं। प्रशासन सख्ती बरते तो बात बने।
कब्जा हट जाए तो जाम लगेगा ही नहीं
नागरिक राजू ने कहा कि शहर की सड़कें कम चौड़ी नहीं हैं। देर रात जब कभी परिवार के लोगों को स्टेशन छोड़ने जाता हूं, तो सड़क की चौड़ाई देखकर आश्चर्य होता है। सड़क अगर कब्जा मुक्त हो जाए तो कभी जाम लगेगा ही नहीं। इसके अलावा फुटपाथ लोगों के चलने के लिए है। इस पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।
सख्ती के बिना नहीं होगा सुधार
नागरिक करुणेश पांडेय ने कहा कि सबसे ज्यादा दिक्कत शास्त्री चौक से बेतियाहाता और अंबेडकर चौराहे से हरिओम नगर तक होती है। सड़क के दोनों तरफ चाट-पकौड़ी की दुकानें लगती हैं। ऑटो खड़े हो जाते हैं। जबकि, चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस खड़ी रहती है। सवाल यह है कि ट्रैफिक पुलिस करती क्या है? सख्ती के बिना सुधार नहीं होगा।
एक्सपर्ट कमेंट
आर्टिटेक्ट इं. सतीश सिंह ने कहा कि शहर की तमाम सड़कें चौड़ी हैं, लेकिन अधिकांश चौराहे के करीब ही ऑटो व ई-रिक्शा खड़े रहते हैं। दुकानदारों ने भी अतिक्रमण कर रखा है। उन पर आर्थिक जुर्माना लगाना चाहिए। इस पर कारगर कार्रवाई के लिए इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से ही चालान कटना चाहिए। जब तक कड़ाई नहीं होगी, चौराहे पर जाम की स्थिति बनी रहेगी।
एसएससी डॉ. गौरव ग्रोवर ने कहा कि चौराहों पर ऑटो बेतरतीब ढंग से खड़े न हों, इसकी व्यवस्था की जाएगी। सड़क पर कब्जे की वजह से अगर जाम लग रहा है, तो इसकी समीक्षा करेंगे। सभी संबंधित विभाग आपसी सामंजस्य बनाकर सुगम यातायात व्यवस्थित करेंगे। पूरी कोशिश की जाएगी कि सड़क खाली रहें ताकि जाम न लगने पाए।